cousin sister ke sath masti
आज की मेरी इस सेक्स कहानी की नायिका मेरी पायल दीदी हैं.
पायल दीदी मेरी मौसी की बेटी हैं.
मैं करनाल शहर में रहता था और मेरी मौसी भी उसी शहर में मॉडल टाउन मे रहती थीं.
उनका घर हमारे घर से थोड़ी ही दूरी पर था.मैं उनके परिवार के बारे में फिर से थोड़ा सा बता देता हूँ.
मेरी मौसी के तीन बेटे और दो बेटियां हैं.
मौसा जी अंबेसी मे जॉब करते है और फिल्हाल साउथ अफ्रीका मे है.
पायल दीदी सबसे छोटी थीं.
वे मुझसे तीन साल बड़ी थीं.
पायल दीदी से बड़ी थीं स्नेहा दीदी. स्नेहा दीदी बहुत खूबसूरत थीं.
तीनों भैया उनसे भी बड़े थे.
मैं बचपन से ही पायल दीदी के साथ खेल-कूद कर बड़ा हुआ हूँ.
यहां तक कि मैं और पायल दीदी नहाते भी साथ में थे.
मैं हर रोज़ स्कूल ख़त्म होने के बाद मौसी के घर पर जाता था. उधर मैं और पायल दीदी एक दूसरे के साथ खेलते रहते थे.
जब भी मैं दीदी के साथ नहाता था, दीदी मुझे अपनी गोदी में बिठा लेतीं और मग से दोनों के ऊपर पानी डालती थीं.
मैं बड़ा हुआ तो जैसा कि मैंने आपको बताया कि मेरे लंड में मीठी मीठी खुजली होने लगी.
उस वक़्त पायल दीदी की उम्र पूर्ण जवान युवती की हो चुकी थी.
इधर मैं आपको पायल दीदी के उस वक्त के हुस्न व उनके शारीरिक गठन के बारे में थोड़ा सा बता देता हूँ.
पायल दीदी कद में मुझसे थोड़ी सी लंबी थीं.
उनका फिगर बहुत सेक्सी था.उनके बूब्स छोटे-छोटे थे बिल्कुल संतरे के साइज़ के!
जब वे चलती थीं तो लगता था कि दो संतरे हिल रहे हैं.
पायल दीदी के नितंब (हिप्स) गोल-गोल और बहुत सेक्सी थे … एकदम खरबूजे की तरह.
जब वे मटक मटक कर चलती थीं तो इतनी सेक्सी लगती थीं कि किसी बुड्ढे का लंड भी खड़ा जो जाए.
दीदी का रंग एकदम गोरा था, बाल काले और बड़ी बड़ी काली आंखें, गोरे गोरे गाल और एकदम गुलाबी होंठ.
मुझे पायल दीदी बहुत अच्छी लगती थीं.
मैं जब भी उनको देखता था तो मेरा मन करता था कि पायल दीदी से लिपट जाऊं और उनके चूचे पकड़ लूँ, उनके चूचों को मसल दूं और उनके चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भींच लूँ.
यह सोचते सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
वे मेरी ‘कामदेवी’ या आप कहें कि सेक्स गॉडेस थीं.
मैं दिन रात पायल दीदी के बारे में सोचता रहता था.
वे जब भी किचन में काम कर रही होती थीं तो मैं जानबूझ के पायल दीदी की मदद करने के बहाने किचन में चला जाता था और घर के कामों में उनकी मदद करता था.
इसी बहाने मुझे दीदी को छूने का मौका मिल जाता था.
दीदी कभी बुरा भी नहीं मानती थीं क्योंकि हम दोनों तो बचपन से ही साथ में खेले कूदे थे … और वे मुझसे बड़ी भी थीं.
मैं कभी कभी बात करते करते दीदी के चूतड़ों को छू लेता था तो कभी कभी दीदी के किसी दूध को मसल देता था.
मुझे उनको छूने में बहुत मजा आता था.
कभी-कभी काम करते करते मैं दीदी के दोनों मम्मों को हाथ लगा देता था तो मुझे एकदम से करेंट का झटका सा लगता था और मेरा लंड टनटना जाता था.
उस वक़्त मुझे बस एक ही दिल करता था कि अभी दीदी के कपड़े उतार कर उनका दूध पी जाऊं.
दीदी ने भी मेरी निक्कर में बने हुए टेंट को कई बार देखा.
लेकिन वे मुझे अबोध समझती थीं इसलिए उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा.पर वे मेरे निक्कर में बने हुए टेंट को नज़र बचा कर जरूर देखती थीं.
दीदी की भी तो उम्र जवानी की थी इसलिए दीदी का भी तो लंड खाने का मन करता होगा!
मेरा जी चाहता कि दीदी एक बार चोदने को मिल जाएं … तो मजा आ जाए.
लेकिन वे कैसे मिल जाएं, यही समझ में नहीं आता था.
फिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली.
मेरी मौसी और उनके पूरे परिवार को एक हफ्ते के लिए कहीं जाना पड़ा.
वे तो पायल दीदी को भी साथ में लेकर जाना चाहते थे लेकिन क्योंकि दीदी के एग्जाम नजदीक थे इसलिए दीदी ने खुद ही कहीं भी जाने से मना कर दिया.
अब सवाल यह था कि दीदी अकेली रहेंगी कैसे!
बहुत सोचने के बाद मेरी मौसी ने मेरी मम्मी से कहा कि रोहित को कुछ दिनों के लिए पायल के पास रहना पड़ेगा.
यह सुनते ही मैं तो बहुत खुश हो गया मुझे लगा भगवान ने मेरी सुन ली है.
मम्मी ने मुझसे पूछा कि तू दीदी के साथ रहेगा एक हफ्ते के लिए?
तो मैंने कहा- हां, रह लूँगा.
इस बात से मेरी मौसी भी काफ़ी खुश हो गईं कि चलो अब रोहित पायल के साथ रहेगा.
अगले ही दिन वे सब चले गए.
मैं भी अगले दिन स्कूल से सीधा पायल दीदी के पास आ गया.
पायल दीदी ने मेरे लिए और अपने लिए खाना बनाया था.
हम दोनों ने खाना खाया और मैंने दीदी की किचन के काम में मदद की.
शाम को हम लोग टीवी देखने लगे.
मैं और पायल दीदी एक ही सोफे पर बैठ कर फिल्म देख रहे थे.
दीदी मेरे साथ एकदम चिपक कर बैठी हुई थीं.
पायल दीदी ने उस वक़्त स्कर्ट और एक टी-शर्ट पहनी हुई थी.
वह स्कर्ट दीदी के घुटनों से भी ऊपर तक थी जिसमें से दीदी की गोरी गोरी जांघें साफ दिख रही थीं.
दीदी की गोरी गोरी जांघों का स्पर्श अपनी टांगों पर पाते ही मेरा लंड एकदम तना गया और मेरा बुरा हाल होने लगा.
मुझे डर था कि कहीं दीदी मेरे टेंट को देख ना लें … और वही हुआ.
अचानक से दीदी की नज़र मेरे निक्कर में बने टेंट पर गई और वे मुझे देखने लगीं.
मैंने भी यह बात नोटिस कर ली.
दीदी ने दोबारा से अपना ध्यान टीवी स्क्रीन पर लगा लिया लेकिन वे बार बार मेरे टेंट को ही देख रही थीं.
थोड़ी देर बाद मूवी में एक सेक्स सीन आ गया, जिसमें हीरो हीरोइन को अपनी बांहों में भरकर लिप-किस कर रहा था और उसके दोनों हाथ हीरोइन के बूब्स पर थे.
हीरोइन की आंखें बंद थीं, वह मीठी मीठी सिसकारियां ले रही थी.
यह सीन देखकर मेरा और भी बुरा हाल हो गया और मैं उठ कर जाने लगा.
तो दीदी ने कहा- रोहित कहां जा रहे हो, क्या हुआ?
मैंने कहा- दीदी मैं किचन में पानी पीने जा रहा हूँ!
दीदी ने कहा- क्यों, क्या हुआ तुझे? तू बैठ … मैं लेकर आती हूँ.
वे मेरी निक्कर को देखती हुई किचन में गईं.
जैसे ही दीदी किचन में गईं … मैंने अपने निक्कर में हाथ डालकर अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया, जिससे वह और भी कड़क हो गया.थोड़ी देर में दीदी मेरे लिए और अपने लिए पानी लेकर आ गईं.
मैंने कहा- दीदी यह चैनल चेंज करें क्या?
दीदी ने कहा- क्यों, मुझे तो यह मूवी बहुत अच्छी लग रही है!
मैं चुप हो गया और मूवी देखने लगा.
थोड़ी देर के बाद हीरो ने हीरोइन को अपनी बांहों में कसके भर लिया और वह उसके पीछे से आकर जबरदस्त धक्के लगाने लगा.
हीरोइन की सिसकारियों की आवाज़ बढ़ गयी.
फिर अचानक से हीरोइन ने पलट कर हीरो को अपनी बांहों में भर लिया और उसने उसे बिस्तर पर गिरा दिया.
हीरो के बिस्तर पर गिरते ही वह उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गई.
मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था और दीदी उस सीन को बड़े ध्यान से देख रही थीं.
वे उस सीन को बहुत एंजाय कर रही थीं.
फिर हीरो ने हीरोइन के कपड़े एक-एक करके उतार दिए. अब हीरोइन सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही थी.
उसके बाद हीरो ने जबरदस्त चुदाई कर दी.
यह सीन साफ नहीं दिखाया गया लेकिन उन दोनों को चादर के अन्दर चुदाई करते हुए दिखाया गया था.
इस तरह से मूवी थोड़ी देर में ख़त्म हो गई.
मूवी देखते-देखते हुए रात के 9:00 बज गए थे.
अब दीदी ने कहा- अच्छा, अब मैं खाना बना लेती हूँ … फिर हम खाना खाकर सो जाएंगे.
दीदी ने खाना बनाया, हम दोनों ने चुपचाप खाना खाया.
खाना खाने के बाद मैंने झूठे बर्तन किचन में रखवाने में दीदी की मदद की.
मैं और दीदी एकदम पास-पास खड़े हो कर काम कर रहे थे.
कभी दीदी का हाथ मेरे लंड पर टच हो जाता और कभी दीदी का हाथ मेरे चूतड़ों के आस-पास टच हो जाता.
यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने भी बात करते-करते हुए दीदी को छूना शुरू कर दिया.
मेरा लंड मेरी निक्कर को फाड़ कर बाहर आने को तैयार था.
तभी दीदी ने कहा- अच्छा तू जा, मैं बाकी का काम निपटा लूँगी.
मैंने कहा- नहीं दीदी, मैं आपके साथ यहीं खड़ा रहूँगा.
दीदी सिंक में बर्तन धोने लगीं.मैं दीदी के पीछे खड़ा हो गया और दीदी से इधर-उधर की बातें करने लगा.
बात करते करते मैं दीदी के ठीक पीछे खड़ा हो गया.
मेरा लंड दीदी के चूतड़ों से हल्का टच हो गया और मुझे करेंट का झटका लगा.
दीदी ने भी मेरे लंड को अपनी चूतड़ों के बीच में महसूस किया तो वे भी थोड़ा सा आगे को हो गईं … लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस वे अपना काम करती रहीं.
काम खत्म होने के बाद हम दोनों कमरे में आ गए.
दीदी ने कहा- चलो सो जाते हैं, कल तुझे भी स्कूल जाना है और मुझे भी.
मैंने कहा- ठीक है दीदी!
दोस्तो, उस वक़्त हम लोग घर के मेन गेट के सामने वाली गली में ही सोते थे. उधर और भी बहुत सारे लोग अपने गेट के बाहर चारपाई बिछा कर सोते थे.
दीदी एक चारपाई, एक तकिया और दो चादर लेकर आ गईं.
मैंने कहा- दीदी मैं कहां सोऊंगा?
दीदी बोलीं- अपन दोनों साथ में सोएंगे, मैं अलग-अलग चारपाई नहीं लगाऊंगी.यह सुनते ही मैं तो खुशी के मारे झूम उठा; मेरे लंड ने जोर का झटका खाया.
दीदी ने चारपाई पर एक चादर बिछाई और एक चादर ऊपर ओढ़ने के लिए रख ली.
हमारे पास एक ही तकिया था.
दीदी और मैं चारपाई पर लेट गए.
गली में और भी बहुत सारे लोग थे.
दीदी और मैं थोड़ी देर बातें करते रहे.
बात करते-करते हुए दीदी की टांगें मेरी टांगों से टच हो रही थीं.
मेरा बहुत बुरा हाल था, निक्कर के अन्दर मेरा लंड झटके पर झटके मार रहा था.
मैंने बात करते-करते अपनी एक टांग दीदी के ऊपर रख दी जिससे मेरा लंड दीदी की चूत के पास आ गया.
दीदी ने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की कमर पर रख दिया.
तो मैंने महसूस किया कि दीदी के बदन में एक सिहरन सी हुई और उनकी सांसें भारी हो गईं. तेज सांसों के कारण उनके दूध ऊपर नीचे होने लगे.
कुछ देर बाद दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो गईं, मैं चुपचाप लेटा रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने आवाज दी- दीदी!
दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया.
मैंने एक बार फिर से कहा- दीदी!
दीदी ने फिर से कुछ जवाब नहीं दिया.
अब मैं समझ गया कि दीदी सो गई हैं.
मैं थोड़ा सा आगे हुआ और दीदी के साथ चिपक गया. मैं देखना चाहता था कि दीदी कुछ रिएक्ट करती हैं या नहीं!दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन ना देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने अपना खड़ा लंड दीदी के दोनों चूतड़ों के बीच में ऐसे सैट कर दिया जैसे दो खरबूजों के बीच में एक केला रख दिया हो!
मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था.
मेरे लंड की खुजली बढ़ती जा रही थी और लग रहा था मानो अभी फट जाएगा.
मैंने अपना एक हाथ दीदी की कमर पर रखा और कमर को सहलाने लगा.
साथ ही मैंने अपने लंड का दबाव दीदी के दोनों चूतड़ों के ऊपर बढ़ा दिया.
दीदी को कपड़ों के ऊपर से सहलाने में इतना मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता.
मैंने अपना एक हाथ दीदी के दूध के ऊपर रख दिया और इंतजार करने लगा कि दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन आता है या नहीं.
लेकिन दीदी शायद गहरी नींद में थीं.
यह देखकर मैंने दीदी के दूध के ऊपर अपनी हथेली का दबाव बढ़ा दिया और सहलाने लगा.
ओह माय गॉड … दीदी के दूध कितने नर्म नर्म थे … ऐसा लग रहा था जैसे रबर के गुब्बारे हों.
मैंने थोड़ा-थोड़ा सा दीदी के दूध को दबाना शुरू कर दिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.अब मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी … मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.
दीदी के चूचुक टाइट हो गए थे.
मैंने निप्पल को अपने अंगूठे और एक उंगली के बीच में पकड़ लिया और हल्के-हल्के से मींजने लगा.
मैंने महसूस किया कि दीदी का सीना जोर-जोर से हिलने लगा, उसकी सांसें तेज-तेज चलने लगीं.
तभी मैंने दीदी के टॉप को थोड़ा सा ऊपर उठाया और उनके पेट पर हाथ रख दिया.
उनका बदन एकदम मखमल जैसा था, नर्म-नर्म, चिकना-चिकना.
कुछ देर पेट को सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ शर्ट के अन्दर से ही ऊपर ले जाना शुरू किया.
मेरा हाथ उनकी ब्रा तक पहुंच गया और मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के दोनों मम्मों को बारी बारी से अपनी मुट्ठी में भरकर भींचने लगा.
अब दीदी के मुँह से मीठी सिसकारी निकल गई.
मैंने डर कर अपना हाथ बाहर खींच लिया.
लेकिन मेरा अपने ऊपर से कंट्रोल ख़त्म हो रहा था.थोड़ी देर तक दीदी की तरफ से कोई हरकत ना देख कर मैंने फिर से अपना हाथ दीदी के चूतड़ों के ऊपर रख दिया और अपने हाथों को गोल गोल घुमाने लगा.
आआ हह्ह्ह … दीदी के चूतड़ों को सहलाने में, कजिन सिस Xx करने में इतना मजा आ रहा था कि मैं उसे शब्दों में नहीं बता सकता.
मैंने थोड़ी सी कोशिश करके अपना दूसरा हाथ दीदी की कमर के नीचे डालना चाहा ताकि मैं दूसरा मम्मा भी पकड़ सकूँ.
लेकिन क्योंकि दीदी गहरी नींद में थीं इसलिए मैं अपना हाथ नहीं डाल पा रहा था.
तभी मुझे लगा कि दीदी थोड़ा सा ऊपर उठीं और मेरा हाथ उनकी कमर के नीचे चला गया.
अब मैंने कमर के नीचे से हाथ डाल दिया और दीदी का दूसरा दूध पकड़ लिया.
दूध हाथ में आते ही मैं जोर जोर से दबाने लगा और दूसरे हाथ से मैं दीदी के चूतड़ों को सहलाने लगा.
मेरा बहुत बुरा हाल था, दिल कर रहा था कि अभी दीदी के सारे कपड़े उतार दूँ.
लेकिन हिम्मत नहीं पड़ रही थी.दोस्तो, मैंने अपनी दीदी की सोते हुए में किस तरह से चुदाई की और उन्होंने मुझे किस तरह से सहयोग किया, यह सब वास्तव में बहुत ही लाजबाव वाकिया था.मैंने अपना एक हाथ दीदी के टॉप के अन्दर डाल दिया और दूसरे हाथ से पैंटी के ऊपर से ही दीदी के चूतड़ों को दबाने लगा.
अब मैं उनके पीछे वाले छेद पर उंगली भी चलाने लगा और दूसरे हाथ से दीदी के मम्मे मसलने लगा.
दीदी नींद में थीं, फिर भी उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मैं समझ गया कि दीदी को बहुत मजा आ रहा है!
मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने की सोची और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उनके पीछे वाले छेद पर उंगली ऊपर-नीचे चलाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने और हिम्मत करके दीदी के टॉप को ऊपर कर दिया और ब्रा को ऊपर खींच दिया.
अब दीदी के मम्मे ब्रा से बाहर निकल आए थे.
मैं एक मम्मे को पकड़ कर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगा.मुझे लग रहा था कि अब अगर मैंने ज़्यादा देर लगाई तो मेरा पानी निकल जाएगा.
मैंने थोड़ा सा पुश करके दीदी को पीठ के बल लिटा दिया और मैं दीदी के ऊपर लेट गया.
उस स्थिति में मेरा लंड दीदी की चूत के ऊपर था.
मैंने दीदी की स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा दिया.
दीदी ने अन्दर सफेद रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
मैं आगे मुँह करके दीदी के एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे दूध को हाथ से दबाने लगा था.
सच बताऊं मुझे जन्नत का मजा आ रहा था.
दीदी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थीं लेकिन वे आंखें नहीं खोल रही थीं.
अब मेरा जोश इतना बढ़ गया कि मैंने दीदी की टांगों को खोल दिया और उनके ऊपर पूरा लेट गया.
मैं पैंटी के ऊपर से ही धक्के लगाने लगा.
मेरा अपने ऊपर कंट्रोल खत्म हो गया; मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
मैंने महसूस किया कि दीदी भी नीचे से अपनी गांड को उठा-उठा कर धक्के लगा रही थीं … लेकिन वे आंखें नहीं खोल रही थीं.
मैं समझ गया कि दीदी मज़े तो लेना चाहती हैं लेकिन वे अपनी शर्म के चलते नींद में होने का नाटक कर रही हैं.
मैंने एक दो बार कहा भी- पायल दीदी, पायल दीदी!
वे मुँह से खाली ‘हन-हूँ’ करतीं लेकिन आंखें बंद रखीं.मैंने सोचा कि मुझे क्या, मुझे तो मजा लेना है.
अगर दीदी सोने का नाटक करना चाहती हैं तो ठीक है लेकिन वे भी तो मज़े ले रही हैं.
यह सोचते हुए मैंने दीदी के होंठों के ऊपर अपने होंठ रख दिए और लिप किस करने लगा.
दीदी ने भी अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया.
मैंने झट से अपनी जीभ दीदी के मुँह में डाल दी और दीदी की जीभ चूसने लगा.
दीदी ने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.
आअहह … लिप किस करने का मजा ही अलग है.
दीदी की और मेरी जीभ आपस में कुश्ती कर रही थीं.
और इधर मेरा लंड दीदी की चूत के साथ कुश्ती कर रहा था.
मैंने अपने लंड को अपनी चड्डी के साइड से बाहर निकाल दिया और दीदी की चूत के ऊपर ऐसे ही रख दिया.
मेरा लंड झटके पर झटके मार रहा था.
मैंने दीदी की पैंटी को नहीं उतारा, ऐसे ही अपने लंड से दीदी की पैंटी के ऊपर से ही धक्के लगाता रहा.धक्के लगाते लगाते हुए ही अचानक से मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरा सारा पानी दीदी की पैंटी पर ही निकल गया.
अब मैं बहुत डर गया कि दीदी की पैंटी गीली हो गई.
जब दीदी को पता लगेगा तो बहुत डाटेंगी … और सबको बता देंगी.
लेकिन अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.
थोड़ी देर दीदी के ऊपर लेटे रहने के बाद मैं साइड में आकर सो गया.
मुझे कब नींद आई, कुछ पता ही नहीं चला.
जब अगले दिन सुबह मेरी नींद खुली, तो मैं अकेला ही बेड पर था.
दीदी वहां पर नहीं थीं.
मैं बहुत डर गया कि बेटा अब तेरा खेल ख़त्म.
दीदी यह बात सबको बताएंगी.
जब मैं उठ कर अन्दर गया तो देखा दीदी किचन में कुछ काम कर रही थीं.
मैं बहुत डरा हुआ था.दीदी ने मेरे आने की आहट सुनी तो उन्होंने पलट कर मुझे देखा, पर कुछ नहीं बोलीं.
इससे मैं और भी डर गया.
लेकिन मैंने हिम्मत करके दीदी से बात करने की कोशिश की.
मैंने थोड़ा डरते हुए कहा- गुड मॉर्निंग दीदी!
पर उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया.
मैंने दोबारा से कहा- हाय दीदी!
इस बार दीदी ने कुछ बनावटी गुस्से से कहा- रोहित, मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी है.
मैंने डरते हुए कहा- क्यों दीदी, क्या हुआ?
पायल दीदी- तू कितना मतलबी है.
मैं- दीदी मैं कुछ समझा ही नहीं!
पायल दीदी- हां, कितना अंजान बन रहा है, जैसा तुझे कुछ पता ही नहीं!
मैं- दीदी, मैं सच में कुछ नहीं समझ पा रहा हूँ, आप क्या कह रही हो?
पायल दीदी- अच्छा बच्चू, अपना काम बनता और भाड़ में जाए जानता?मैं बहुत डर गया, मुझे लगा कि दीदी को मेरी रात की हरकतों के बारे में सब पता चल गया है.
मुझे लग रहा था, जैसे मैं अभी रो पड़ूँगा.
फिर भी मैं अंजान बनते हुए कहा- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा दीदी, आपको जो भी कहना है साफ साफ कहो ना!
पायल दीदी- तू रात को इतनी गहरी नींद सोता है कि तुझे कितना भी जगाओ, तू जागता ही नहीं है.
मैं थोड़ा रिलॅक्स होते हुए बोला- आपने रात को मुझे जगाने की कोशिश की थी?
पायल दीदी- तो और क्या, आधी रात तक तो मैं जागती रही, मच्छर काट रहे थे और जब मुश्किल से नींद आई तो ठंड लगने लगी!
मैं- तो दीदी आप मेरे साथ चादर में आ जातीं न!
पायल दीदी- अच्छा बेटा, सारी चादर को तो तूने कसके ऐसे पकड़ा हुआ था, जैसे वह चादर ना हो, तेरी गर्लफ्रेंड हो. मैंने चादर खींचने की कोशिश की, लेकिन तू छोड़ता तब ना! फिर मैंने सोचा कि चलो तुझे लेकर अन्दर चली जाती हूँ. दोनों अंदर ही सो जाएंगे, लेकिन तू महाराज उठा ही नहीं. मैं रात को अकेली ही अन्दर आकर सो गयी, पता है कितना डर लग रहा था. तुझे तो कोई फिक्र है नहीं.
दीदी ने कहा कि वे आधी रात तक जाग रही थीं, इसका मतलब दीदी को मेरी सारी हरकतों के बारे में पता है.
लेकिन दीदी कुछ बोली क्यों नहीं.फिर मुझे तुरंत समझ आ गया कि दीदी भी चुपचाप सोने का नाटक करती हुई मज़े लूट रही थीं!
मैं यह सब अभी सोच ही रहा था कि तभी दीदी दोबारा से बोलीं- तुझे ज़रा सा भी चैन नहीं हैं ना! कितना हिलता रहता है तू बेड पर … और तू सोया भी इतना चिपक कर कि मैं ज़रा सा भी हिल नहीं पा रही थी. यहां तक की मुझे इतने जोरों से सू-सू लगी था, तूने उठने ही नहीं दिया. गंदा बच्चा … जब तुझे नींद आई तब मैं सू-सू करने जा पाई.
अब मैं सब समझ गया और मैंने झट से दीदी को पीछे से पकड़ लिया और पूरा लिपट कर सॉरी दीदी, सॉरी दीदी बोलने लगा.
लेकिन सॉरी-सॉरी बोलने की आड़ में मैंने अपना लंड दीदी के दोनों चूतड़ों के ऊपर दबा दिया.
दीदी के मुँह सी हल्की सी चीख निकल गयी.
पायल दीदी- आआह … यह क्या कर रहा … छोड़ मुझे, पागल!
लेकिन मैंने छोड़ने की बजाए और भी जोर से दीदी को दबोच लिया और अपने लंड का पूरा दबाव दीदी की गांड के ऊपर बड़ा दिया.
इसका असर यह हुआ कि मेरा लंड दीदी के दोनों चूतड़ों के बीच में खड़ा हो गया.
जैसे दो खरबूजों के बीच कोई केला गाड़ दिया हो.
मैं सॉरी सॉरी बोलते हुए हल्के हल्के धक्के लगाने लगा.
अब दीदी के मुँह से मीठी मीठी सिसकारियां निकलने लगीं और उनके दोनों दूध जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगेमैंने अपना एक हाथ दीदी के एक दूध के ऊपर रख दिया और हल्का सा दबा दिया.
इससे दीदी एकदम से चिहुंक गईं और मेरा हाथ अपने दूध से हटाती हुई बोलीं- चल हट, अभी सारा काम पड़ा है.
यह कहते हुए दीदी ने अपने आप को मुझसे छुड़ाया और बोलीं- चल तू जाकर नहा ले, मैं हम दोनों के लिए नाश्ता बनाती हूँ, उसके बाद तू स्कूल चले जाना.
मैं- दीदी आप कॉलेज नहीं जाओगी?
पायल दीदी मीठे गुस्से से बोलीं- तूने सोने तो दिया ही नहीं और अब पूछ रहा है कि कॉलेज नहीं जाओगी.
मैं- दीदी आप ही नहला दो ना!
पायल दीदी- जी नहीं, अब तू बड़ा हो गया. खुद ही जाकर नहा ले, तौलिया बेड पर रखा है.
मैं तौलिया लेकर बाथरूम में चला गया.
नहाते नहाते मैं यही सोच रहा था कि दीदी को ज़रूर कल रात के बारे में सब कुछ पता है.
पर सब कुछ जानते हुए भी दीदी ने कुछ नहीं कहा है.
तो इसका मतलब भी यही हुआ न कि दीदी भी रात को एंजाय कर रही थीं और सोने का नाटक कर रही थीं.ये सब सोचते सोचते मेरा लंड एक बार फिर से लोहे की तरह सख़्त हो गया और मैंने दीदी के बारे में सोचते हुए मुठ मार ली.
अब मैंने ठान लिया था कि आज रात को दीदी के साथ पूरा मजा लूँगा.
कुछ देर बाद मैं नाश्ता करके स्कूल चला गया.
दोपहर को जब मैं स्कूल से घर आया तो दीदी किचन में हम दोनों के लिए खाना बना रही थीं.
दीदी ने एक खुले गले का सफ़ेद रंग का टॉप और लाल रंग का स्कर्ट पहना था जो घुटनों से काफ़ी ऊपर था.
इस ड्रेस में दीदी बहुत हॉट माल लग रही थीं.
दीदी को इस ड्रेस में देखते ही मेरी निक्कर में टेंट बन गया.
मैं दीदी के एकदम पास आ गया और उनसे चिपक कर खड़ा हो गया.
थोड़ी देर में दीदी ने कहा- तू जाकर नहा ले और फ्रेश हो जा, तब तक मैं हम दोनों के लिए खाना लगाती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है दीदी!
यह कह कर मैं बाथरूम में चला गया.
बाथरूम में जाकर देखा कि दीदी की गुलाबी रंग की की ब्रा-पैंटी वहां खूंटी पर लटकी हुई थीं.
मैंने दीदी की ब्रा पैंटी को उतारा और उनकी रेशमी ब्रा को सहलाने लगा, पैंटी को मुट्ठी में भर कर ऐसे दबाने लगा जैसे दीदी की चूत को ही दबा रहा हूँ.दीदी की ब्रा से बड़ी नशीली खुशबू आ रही थी.
मैं तो पागल हो गया और जोर जोर से ब्रा को अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगा जैसे मैं दीदी के बूब्स चूस रहा हूँ.
ये सब करते हुए मेरे हाथ अपने आप मेरे लंड को सहलाने लगे और मैंने दीदी के बारे में सोचते हुए फिर से मुठ मार ली.
कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर आ गया.
दीदी ने पूछा- इतनी देर क्यों लगा दी नहाने में … नहा रहा था या कुछ और कर रहा था?
मैंने कुछ नहीं कहा और दीदी मेरे और अपने लिए खाना लेकर आ गईं.
हम दोनों ने सोफे पर बैठ कर खाना खाया.
दीदी मेरे साथ एकदम चिपक कर बैठी थीं.
उस टाइम मैंने भी एक छोटी सी निक्कर पहनी हुई थी जो मेरे नितंबों तक ही थी.
दीदी की एक टांग मेरी टांग के साथ चिपकी हुई थी. दीदी का टांग का स्पर्श अपनी टांगों पर महसूस करके मेरा दिमाग़ खराब होने लगा.
अहह … कितनी चिकनी और नर्म जांघें थीं दीदी की.
मेरा लंड फिर से तन गया और निक्कर में टेंट बन गया.दीदी ने देखा और वे निक्कर में बने हुए टेंट को देखने लगीं.
पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा पर जब मैंने देखा कि दीदी लगातार वहीं देख रही हैं तो मैं बात करते करते अपने लंड को सहलाने लगा.
लंड सहलाने और दीदी के लगातार देखते रहने से मेरा लंड एकदम कड़क हो गया.
दीदी का सीना भी ऊपर नीचे हो रहा था लेकिन वे कुछ शो नहीं कर रही थीं.
खैर … ऐसे ही बातें करते-करते हम दोनों ने खाना खत्म किया.
दीदी ने बर्तन उठाए और किचन में जाने लगीं.
वे जाते हुए बोलीं- तू बैठ कर टीवी देख, मैं बर्तन साफ कर लेती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
दीदी वहां से चली गईं
मैं वहीं बैठ कर टीवी देखने लगा.
मेरा दिल तो कर रहा थे कि किचन में जाकर अभी दीदी को दबोच लूँ और चोद दूँ. लेकिन मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया.
थोड़ी देर में दीदी भी आ गईं और फिर से मेरे साथ बैठ कर टीवी देखने लगीं.पायल दीदी- अरे ये क्या लगा रखा है, कोई अच्छी सी मूवी लगा ना!
मैं- दीदी कौन सी मूवी देखनी है, इंग्लिश या हिन्दी?
पायल दीदी- कोई इंग्लिश मूवी लगा.
मैंने एक इंग्लिश मूवी लगा दी और मैं और दीदी मूवी देखने लगे.
आप सभी को पता है कि इंग्लिश मूवी में एक नहीं बल्कि कई सीन ऐसे होते ही हैं जिनमें स्मूच करते बताया जाता हो और लगभग खुली चुदाई का जलवा भी दिखा दिया जाता है. उसमें चूचियों को खुला देना तो आम है.
थोड़ी देर में मूवी में एक सेक्स सीन शुरू हो गया, उसमें हीरो हीरोइन स्मूच कर रहे थे.
लड़का लड़की को पीछे से पकड़े हुए था और उसके हाथ लड़की की कमर पर थे.
उसमें लड़के ने लड़की को कस कर पकड़ लिया और उसका मुँह अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वे दोनों जोर-जोर से स्मूच करने लगे.
सीन देख कर मेरी हालत खराब होने लगी.
दीदी का भी कुछ ऐसा ही हाल था. दीदी के मम्मे ऊपर नीचे हो रहे थे.
वे बड़े ध्यान से सेक्स सीन को देख रही थीं.थोड़ी देर में लड़के ने लड़की के मम्मों को बारी बारी से दबाना शुरू कर दिया. अब वह लड़की के एक मम्मे को चूस रहा था और दूसरे हाथ से दूसरे मम्मे को भींच रहा था.
उसका एक हाथ लड़की के मम्मे पर और दूसरा हाथ उसके पेट पर रेंग रहा था.
लड़की बुरी तरह से हांफ रही थी.
ऐसा करते-करते हुए दोनों ने एक दूसरे के कपड़े एक एक करके उतारने शुरू कर दिए.
हम दोनों की हालत खराब हो रही थी.
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ दीदी की जांघों पर आ गया और मैंने दीदी की जांघ को थोड़ा सा सहला दिया.
दीदी भी सीन में खोई हुई थीं.
मेरे सहलाने से उनके मुँह सी हल्की सिसकारी निकल गयी.
तभी लाइट चली गयी और मेरा सारा मजा खराब हो गया.
फिर हम दोनों ने थोड़ी देर इंतजार किया कि शायद लाइट आ जाए और हम वापिस से मूवी चालू कर पाएं.
लेकिन लाइट आई ही नहीं.मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गयी.
जब थोड़ी देर में नींद खुली तो मैंने देखा की लाइट आ चुकी थी और दीदी भी वहीं मेरे साथ एकदम चिपक कर सोई हुई थीं.
अपनी एक टांग दीदी ने मेरे ऊपर रखी हुई थी और इसी वजह से दीदी की चूत मेरे लंड के एकदम ऊपर थी.
दीदी की स्कर्ट छोटी तो पहले ही थी, टांग मेरे ऊपर रखने की वजह से स्कर्ट और भी ऊपर हो गयी.
इसी वजह से दीदी की जांघें आधी से भी ज़्यादा नंगी हो गयी थीं.
मेरा लंड दीदी की चूत का स्पर्श पाकर फड़फड़ा रहा था और झटके मार रहा था.
मैंने धीरे से अपना एक हाथ स्कर्ट के ऊपर से ही दीदी के चूतड़ों पर रखा और इंतजार करने लगा कि दीदी कुछ बोलती हैं या नहीं.
दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन ना देख कर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी और मैंने धीरे धीरे से अपने हाथ को दीदी के चूतड़ों के ऊपर गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया.
अहह … कितना मजा आ रहा था!
दीदी के चूतड़ बहुत चिकने और मुलायम थे.मेरा दिल कर रहा था कि दीदी को पूरी नंगी कर दूँ और उनके चूतड़ों को अपनी जीभ से चाट लूँ. उनकी चूत को खा जाऊं.
इरोटिक Xx सिस्टर सेक्स का सोचते हुए मेरी हालत और भी खराब होने लगी … मेरा लंड जोर जोर से झटके मारने लगा … और उन झटकों की वजह से दीदी की नींद खुल गयी.
वे एकदम से चौंक गईं और उन्होंने झट से अपनी स्कर्ट को नीचे कर लिया. वे बोलीं- चल, मैं किचन में जा रही हूँ खाना बनाने.
यह कह कर वे चली गईं और मैं वहीं बैठ कर सोचने लगा कि दीदी को कैसे पेला जाए.
इसी तरह रात हो गयी और हम दोनों ने डिनर कर लिया.
मैंने और दीदी ने बर्तन धोए और फिर सोने की तैयारी करने लगे.
दीदी ने कहा- आज हम बाहर नहीं, घर के अन्दर ही सोएंगे.
मैंने अन्दर ही अन्दर खुश होते हुए कहा- हां ठीक है दीदी, बाहर मच्छर सही से सोने भी नहीं देते.
वे हंस दीं.मैंने कहा- दीदी, मुझे रात में कुछ पहनने को दे दो!
दीदी ने कहा- मेरी निक्कर है … पहनेगा?
मैंने कहा- दीदी मैं लड़कियों वाली निक्कर क्यों पहनूँ?
दीदी ने कहा- मेरे पास और कुछ नहीं है.
मैंने कहा- मुझको रात को निक्कर पहन कर सोने में बहुत प्राब्लम होती है!
इस पर दीदी ने कहा- तो तू निक्कर उतार दे और अपनी चड्डी में ही सो जा!
यह सुन कर मेरा दिल बहुत खुश हो गया और मैंने सोचा कि चलो इसी बहाने मैं दीदी को अपना लंड दिखा कर और भी गर्म कर सकूँगा.
मैंने वहीं दीदी के सामने ही अपनी निक्कर उतार दी.
मेरा लंड दिन भर की हरकतों की वजह से पूरा तना हुआ था.जैसे ही मैंने अपनी निक्कर उतारी तो दीदी की नज़र मेरे लंड के ऊपर पड़ी और वहीं चिपक कर रह गयी.
इस तरह दीदी को अपना लंड दिखाने में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मुझे लग रहा था कि आज तो दीदी को चोदने को मिल ही जाएगा.
हम दोनों ने मिल कर बिस्तर लगाया.
थोड़ी देर बाद दीदी ने लाइट बंद कर दी और बाथरूम में जाती हुई बोलीं- तू सो जा … मैं ज़रा चेंज करके आती हूँ.
यह कह कर दीदी बाथरूम चली गईं और मैं आंख बंद करके लेट गया.
थोड़ी देर में दीदी बाथरूम से चेंज करके आ गईं.
उन्होंने स्कर्ट तो वही पहनी थी लेकिन टॉप उतार कर एक स्लीवलेस शर्ट पहन ली थी.
यह सब मैं आंखें बंद करके देख रहा था.
दीदी की शर्ट के टोटल 5 ही बटन ही थे जिसमें से ऊपर के दोनों बटन खुले थे.
उसी वजह से दीदी के दोनों दूध आधे से भी ज़्यादा दिख रहे थे.यह नजारा देख कर मेरा दिमाग़ और भी खराब होने लगा; मेरा लंड चड्डी के बाजू वाली इलास्टिक से थोड़ा बाहर निकल आया.
पहले तो मैंने सोचा कि इसको अन्दर कर लूँ, पर फिर मैंने ऐसा नहीं करने का फ़ैसला किया.
यही तो मौका दीदी को गर्म करने का था.
दीदी को लगा कि मैं सो गया हूँ, जब कि मैं तो जाग रहा था.
मैंने अपनी टांगों को और भी खोल दिया ताकि दीदी को मेरे लंड का नजारा करना आसान हो जाए.
कमरे में लाइट तो बंद थी लेकिन खिड़की से चाँद की रोशनी आ रही थी जिससे दीदी को मेरा लंड साफ दिख रहा था.
वे मेरे लंड को देखते देखते ही मेरे पास आकर लेट गईं.
दीदी मेरी तरफ पीठ करके लेटी हुई थीं, जिससे उनके दोनों चूतड़ मेरी तरफ थे.
जबकि दीदी का मुँह दूसरी तरफ था.
दोस्तो, सच कह रहा हूँ कि मैं कैसे अपने आप को कंट्रोल कर रहा था, यह मैं ही जानता था.अब मुझे दीदी के सोने का इंतजार करना था इसलिए मैं थोड़ी देर चुपचाप पड़ा रहा.
करीब आधे घंटे के बाद मैंने धीरे से कहा- दीदी!
लेकिन पायल दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया.
मैंने दोबारा दीदी को बुलाया पर फिर से दीदी के तरफ से कोई जवाब नहीं आया.
तो मुझे विश्वास हो गया कि दीदी को नींद आ गयी है.
यही टाइम था अपनी हरकतों को अंजाम देने का.
मैंने अपने हाथ उठा कर दीदी की शर्ट के ऊपर से ही कमर पर रख दिया.
फिर धीरे धीरे से हाथ को कमर से लेकर कंधे तक फेरने लगा.
कपड़ों के ऊपर से दीदी को सहलाने में इतना मजा आ रहा था कि क्या ही बताऊं.
दो तीन बार ऐसा करने के बाद मैंने धीरे से अपना हाथ शर्ट के ऊपर से ही दूध के ऊपर रख दिया.
दीदी के बदन में हल्की सी झुरझुरी हुई तो मैंने अपना हाथ वापस खींच लिया.थोड़ी देर बाद मैंने दोबारा से अपना हाथ दीदी के मम्मे के ऊपर रखा और धीरे धीरे मम्मे को सहलाने लगा.
मैं दीदी से चिपक गया और अपना लंड उनके दोनों चूतड़ों के बीच में खड़ा कर दिया.
मैंने महसूस किया कि दीदी के निप्पल कड़े हो रहे थे.
उनके एक निप्पल को मैंने अपने अंगूठे और उंगली के बीच में ले लिया और धीरे-धीरे मींजने लगा.
आआह … मस्त मजा आ रहा था.
अब मैंने अपना हाथ दीदी के पेट पर रखा और एक उंगली को धीरे धीरे दीदी की नाभि पर 2-3 बार घुमाया.
उनके पेट पर थिरकन हुई.
पर उन्होंने जब कुछ नहीं कहा तो मैंने उनकी शर्ट को थोड़ा ऊपर सरका दिया.
ऊओह … कितना नर्म और कितना चिकना था दीदी का बदन.
मेरी हालत खराब होने लगी.
मैंने अपना हाथ शर्ट के अन्दर डाल दिया और धीरे धीरे हाथ मम्मों के पास ले गया.
जब मेरा हाथ उनके मम्मों के पास पहुंचा, तो मुझे 440 वॉल्ट का झटका लगा.दीदी ने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
इसका क्या मतलब हो सकता है!
मुझे विश्वास हो गया कि हो ना हो, दीदी भी आज चुदने के लिए तैयार हैं.
मैंने एक एक करके शर्ट के बाकी के तीन बटनों को भी खोल दिया और दीदी के दोनों दूध बाहर निकल आए.
मैं पागल हो गया और उनके दोनों मम्मों को सहलाने लगा; कभी एक मम्मा तो कभी दूसरा मम्मा.
फिर मैंने थोड़ा जोर से दबाना शुरू किया.
अब मैं थोड़ा ऊपर को हुआ और एक निप्पल अपने मुँह में भर लिया.
आअहह ओह … मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था.
मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं दीदी उठ गईं तो तो क्या होगा.
लेकिन सच बताऊं … तो इस तरह चुप-चुप कर प्यार करने में बहुत मजा भी आ रहा था.
मैंने महसूस किया कि दीदी की सांसें तेज-तेज चलने लगी थीं और दोनों दूध तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगे थे.एक बार फिर से मैंने दीदी को आवाज देकर चैक किया.
तो दीदी ने नींद में ही धीरे से ‘हम्म’ कहा और दोबारा सो गईं.
मुझे समझ में आ गया था कि दीदी जाग रही थीं पर वे यह नहीं दिखाना चाहती थीं कि वे जानबूझ कर चुदवा रही हैं, बल्कि मैं उनकी नींद का फायदा उठा रहा हूँ.
इस सबसे मुझे क्या … दीदी आंखें खोल कर चुदें या आंखें बंद करके, मुझे तो बस दीदी को चोदना था.
इसी लिए मैंने इस खेल को ऐसे ही बनाए रखने का फ़ैसला किया.
मैंने अपना दूसरा हाथ दीदी की कमर के नीचे डाला तो दीदी खुद थोड़ा ऊपर हो गईं ताकि मेरा हाथ उनकी कमर के नीचे से चला जाए.
ऐसा ही हुआ.
मैंने अपना हाथ कमर के नीचे से ले जाकर दीदी का एक दूध पकड़ लिया और धीरे धीरे से मींजने लगा.
दूसरा हाथ मैंने दीदी की स्कर्ट के ऊपर से उनके चूतड़ के ऊपर रखा और हथेली को उनके चूतड़ों के ऊपर गोल गोल घुमाने लगा.
हालांकि मेरा दिल तो कर रहा था कि दीदी की स्कर्ट ही फाड़ दूँ पर ऐसा करने की कोई जरूरत ही नहीं थी.थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने हाथ को स्कर्ट के अन्दर डाल दिया.
हाथ डालते ही मुझे और भी जोरदार झटका लगा जब मैंने महसूस किया कि दीदी ने पैंटी भी नहीं पहनी थी.
अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि दीदी चुदने के लिए हर तरह से तैयार हैं.
यह सोचते ही मेरा जोश और भी बढ़ गया और मैंने दीदी के स्कर्ट का हुक खोल दिया.
स्कर्ट ढीली हुई तो धीरे धीरे स्कर्ट को नीचे खींचने लगा.
लेकिन स्कर्ट दीदी के चूतड़ों के नीचे दबी हुई थी.
तो एक साइड से तो नीचे हो गई लेकिन दूसरी साइड से वह उतर नहीं पा रही थी.
मुझे पता था कि दीदी जाग रही हैं.
मैंने स्कर्ट को एक साइड से चूतड़ों के नीचे तक खींच दिया और दीदी को अपनी तरफ घुमा लिया.
दीदी एकदम आसानी से मेरी तरफ घूम गईं. उससे दूसरी तरफ से स्कर्ट उतरना आसान हो गया और मैंने स्कर्ट को पूरा उतार दिया.
अब दीदी नीचे से पूरी नंगी थीं.मैं एकदम पागल हो गया और उठ कर बैठ गया.
मैं बिंदास दीदी को टांगों को सहलाने लगा.
दीदी भी बहुत बेचैन हो रही थीं लेकिन वे अपनी आंखें नहीं खोल रही थीं.
मुझे दीदी की इस अदा पर बड़ा प्यार आया.
मैंने दीदी के दोनों मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसना और दातों से काटना शुरू कर दिया.
मैं एक मम्मे को चूसता और दूसरे को अपनी मुट्ठी में भर कर बेरहमी से भींचता, तो कभी दूसरे को मुँह में लेकर चूसता … और पहले वाले को अपनी मुट्ठी में भींचने लगता.
दीदी के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
लेकिन वे अभी भी नींद में होने का दिखावा करती रहीं.
मैंने दीदी की शर्ट को भी पूरा निकाल दिया.
अब दीदी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थीं.
दोस्तो, आप लोगों को मेरी हालत का अंदाजा नहीं है. मेरा पागलपन और भी बढ़ गया था.
मैंने झटके से अपनी पैंटी और शर्ट को उतार दिया और पूरा नंगा हो गया.दीदी मेरे सामने पीठ के बल लेटी हुई थीं.
मैं दीदी के ऊपर पूरा लेट गया और अपने होंठों को दीदी के होंठों के ऊपर रख कर धीरे धीरे चूसने लगा.
थोड़ी देर में दीदी ने अपना मुँह खोल दिया और मैंने अपनी जीभ झट से दीदी के मुँह में डाल दी.
मैं दीदी की जीभ को चूसने लगा.
आआ … अहह मुझे लग रहा था, जैसे मैं जन्नत में विचरण कर रहा हूँ.
कुछ देर बाद दीदी ने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और वे मेरी जीभ को चूसने लगीं.
मेरा लंड दीदी की चूत के एकदम ऊपर था.
मैंने वैसे ही लेटे लेटे ही हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए.
दीदी ने अपनी दोनों टांगों को खोल दिया और मैं दीदी की टांगों के बीच में आ गया.
उन्होंने नींद में होने का दिखावा करते हुए अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया और हल्के हाथ से सहलाने लगीं.
ओह माय गॉड … इसका मतलब दीदी सच में जागी हुई थीं.
अब तो मैं बिल्कुल बिंदास हो गया.मैं बैठ गया और दीदी के मम्मों को बेरहमी से मसलने लगा.
अपने एक हाथ से मैं दीदी की चूत को सहलाने लगा.
दीदी भी पागल होने लगीं और अपनी कमर को ऊपर नीचे चलाने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड फट जाएगा.
मैंने दीदी के मम्मों को छोड़ा और दोनों टांगों के बीच बैठ गया.
अब मैंने अपने मुँह को दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और चूत को चूसने लगा.
दीदी जोर जोर से ‘उम्म् आअहह उम्ह आअ हह उम्मह आअहह’ करने लगी.
लेकिन उन्होंने नींद में होने का नाटक जारी रखा.
मैंने अपनी जीभ दीदी की चूत की अन्दर डाल दी और जोर जोर से जीभ को चूत के अन्दर चलाने लगा.
अब दीदी भी पागल हो गईं, उन्होंने अपनी टांगों को मोड़ कर मेरे सिर को जकड़ लिया.
थोड़ी देर बाद मैं दीदी के ऊपर 69 वाली पोजीशन में लेट गया और अपने लंड को दीदी के होंठों के ऊपर रख कर चूत को जोर-जोर से चाटने लगा.दीदी और भी बेकरार हो गईं, उन्होंने अपना मुँह खोला और लंड को अन्दर ले लिया और नींद में होने का नाटक करती हुई लौड़े को धीरे धीरे चूसने लगीं.
मैंने दीदी के मुँह में धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वे पागलों की तरह मेरे लंड को ऐसे चूसने लगीं, खाने लगीं जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप को चूसता है.
आआहह ओह इस्स … कितना मजा आ रहा था.
मैं भी दीदी की चूत को पागलों की तरह चाटने लगा, अपनी जीभ से चोदने लगा.
दीदी बेतहाशा सिसकार रही थीं और मेरे लंड को जोर-जोर से खा रही थीं, जिसकी वजह से उनके मुँह से ‘छप-चप’ की आवाज़ें निकलने लगीं.
वे अब नीचे से अपनी कमर से धक्के लगा रही थीं और मेरी जीभ को अन्दर तक ले रही थीं.
थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि दीदी का पूरा बदन अकड़ गया और दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैं दीदी की चूत का पूरा पानी पी गया.दीदी शांत हो गईं.
मैं उठा और दोबारा से दीदी की टांगों के बीच में आ गया.
मैंने अपने लंड को दीदी की चूत के ऊपर सैट किया और अन्दर धकेल दिया.
दीदी की चूत गीली होने के जैसे ही लंड फ़च्छ … की आवाज़ करता हुआ चूत में घुसता चला गया.
उनकी एक कराह भरी आह निकल गई और वे अपना मुँह भींच कर दर्द को सहने लगीं.
मैं पागलों की तरह दीदी को चोदने लगा.
कुछ ही देर बाद दीदी ने भी अपने दोनों हाथ की हथेलियों को मेरे चूतड़ों के ऊपर रख दिया और मेरे चूतड़ों को सहलाने लगीं.
मेरे अन्दर वासना का लावा उबलने लगा.
दीदी के हाथों के स्पर्श अपने चूतड़ों के ऊपर महसूस करके मेरे लंड में और भी मस्ती आ गयी.
लंड दीदी की चूत के अन्दर और भी फूलने लगा.
मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
दीदी भी अपनी कमर को ऊपर चलाने लगीं.लंड चूत के अन्दर जाने से ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ आने लगी और हम दोनों और भी मदहोश हो गए.
दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों चूतड़ों को जकड़ लिया और मेरे पूरे लंड को अपनी चूत के अन्दर तक लेने लगीं.
मैं फिर से दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी के मुँह के ऊपर अपना मुँह रख कर अपनी जीभ से दीदी की जीभ को चूसने लगा, चुभलाने लगा.
दीदी भी वैसा ही कर रही थीं.
कभी मैं अपनी जीभ दीदी के मुँह में डाल देता और कभी दीदी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देतीं.
मैंने अपने दोनों हाथों से दीदी के मम्मों को बुरी तरह से और बेरहमी से कुचलना, मसलना और भींचना चालू कर दिया.
मैं दीदी के मम्मों को बुरी तरह से अपने मुँह से काटने भी लगा था.
दीदी नींद में ही बड़बड़ाने लगीं- आआह आहह ओह इस्स आअह यस बेबी यस बेबी … प्लीज़ प्लीज़, आह ओह माय गॉड … फक मी हार्डर आह. फक मय आस टू!
यह सुनकर तो मैं पागल हो गया कि दीदी गांड मरवाने के लिए भी राजी हैं.यह सुनकर तो मैं पागल हो गया कि दीदी गांड मरवाने के लिए भी राजी हैं.
मैं जोश में ताबड़तोड़ दीदी को चोदने लगा.
हॉट Xxx विद कजिन सिस्टर करते हुए मेरा पानी निकलने ही वाला था.
मैंने दीदी को पलटा कर पेट के बल कर दिया झट से दीदी की कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.
तकिए की वजह से दीदी की गांड पूरी उठ गयी.
मैंने एक झटके से अपना लंड दीदी के पीछे वाला छेद में पेल दिया.
दीदी के मुँह सी हल्की सी चीख निकल गयी पर उन्होंने नींद में होने की एक्टिंग जारी रखी.
शायद दीदी अपनी गांड में कुछ कुछ लेती रहती थीं इसलिए उन्होंने मेरे मोटे लंड को अपनी गांड में आसानी से झेल लिया था.
मैंने दो मिनट वेट करने के बाद धीरे-धीरे से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
दीदी का दर्द कम हो गया था और वे भी अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी थीं.उनकी इस अदा पर मैं मतवाला हो गया और बेझिझक दीदी की गांड मारने लगा.
जब भी दीदी की गांड के अन्दर झटका लगाता, मेरी जांघें दीदी की जांघों से टकरातीं और ‘फॅट-फॅट’ की आवाज़ें आने लगतीं.
वे कामुक आवाजें हम दोनों को और भी पागल बना देने के लिए काफ़ी थीं.
मैंने अपने धक्कों को स्पीड बढ़ा दी और ‘घचा-घच’ दीदी को चोदने लगा.
दीदी ने अपनी गांड को ऊपर उठा कर वहीं पर रोक लिया जिससे मेरा लंड दीदी की गांड के एकदम अन्दर आ जा रहा था.
बस अब मुझे लगा कि मेरा काम निकलने वाला है, कुछ धक्कों की बात है.
मैं पूरी ताकत से राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से धक्के लगाने लगा.
मेरी सांस फूलने लगी, पूरे बदन से पसीना छलकने लगा.मैंने आंख बंद करके ताबड़तोड़ दीदी को चोदना चालू रखा.
करीब 5 मिनट के बाद मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी और मैंने अपना सारा रस दीदी की गांड के अन्दर ही छोड़ दिया.
मैंने दोबारा दीदी को अपनी तरफ घुमाया और उनके ऊपर लेट कर हांफने लगा.
दीदी ने अपनी दोनों टांगों को मोड़ कर मुझे अपनी टांगों में कस लिया और वे नींद में होने का नाटक करती हुई मेरी पीठ सहलाने लगीं.
पूरा पानी निकल जाने के बाद मैंने दीदी के होंठों को चूमा और कहा- दीदी, मुझे पता है आप जाग रही हो … है ना!
दीदी ने धीरे से अपनी आंखें खोलीं और मुस्कुरा दीं.
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखते हुए हंसने लगे और वापिस एक दूसरे से लिपट गए.
हम दोनों दूसरे दौर की तैयारी में लग गए.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये हॉट सेक्स विद कजिन सिस्टर कहानी?
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